बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत के कार्यालय तोड़े जाने के मामले में मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान शिवसेना नेता संजय राउत के वकील प्रदीप थोरात ने अदालत में कहा कि वे निजी कारणों की वजह से सुनवाई में शामिल नहीं हो सके। अब कोर्ट उन्हें बुधवार को सुनेगा। इसके बाद बीएमसी (बीएमसी) के वकील ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। अब कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़ मामले में पांच अक्तूबर को सुनवाई होगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक साक्षात्कार में शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत द्वारा अभिनेत्री कंगना रणौत को दी गई एक कथित धमकी का उल्लेख करते हुए मंगलवार को पूछा कि क्या एक सांसद को इस तरह जवाब देना चाहिए?
अभिनेत्री कंगना रणौत ने शिवसेना के नियंत्रण वाली बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा नौ सितंबर को उनके बंगले में की गई तोड़-फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका में राउत को भी प्रतिवादी बनाया है। उच्च न्यायालय ने तोड़-फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा कि ‘हालांकि, हम याचिकाकर्ता (रणौत) द्वारा कहे गए एक भी शब्द से सहमत नहीं हैं, लेकिन क्या यह बात करने का तरीका है?’
न्यायमूर्ति एसजे कठवल्ला और न्यायमूर्ति आरआई चागला की खंडपीठ ने कहा कि ‘हम भी महाराष्ट्रवासी हैं। हम सभी को महाराष्ट्रवासी होने पर गर्व है। लेकिन हम जाकर किसी का घर नहीं तोड़ते। क्या प्रतिक्रया देने का यह तरीका है? क्या आपमें दया नहीं है?’
बीएमसी की कार्रवाई को ‘अवैध’ करार देते हुए दो करोड़ रुपये के मुआवजे का अनुरोध करने वाली रणौत की याचिका पर पीठ अंतिम सुनवाई कर रही है। इससे पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान, राउत ने एक शपथपत्र दाखिल किया, जिसमें उन्होंने रणौत को धमकी दिए जाने से इंकार किया।
शपथपत्र में कहा गया कि ‘यह इस तरह नहीं था, जिस तरह याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था।’ इस पर अदालत ने कहा कि कम से कम राउत ने स्वीकार किया कि वह साक्षात्कार में रणौत के बारे में बात कर रहे थे, जैसा कि पहले की सुनवाई में, उनके वकील ने इस बात से इंकार किया था कि राउत ने रणौत के संदर्भ में कुछ भी कहा था।
एक चैनल को दिए साक्षात्कार में राउत ने अभिनेत्री के संदर्भ में कथित तौर पर आपत्तिजनक शब्द का उपयोग किया था और कहा था, ‘कानून क्या है? उखाड़ देंगे।’ पीठ ने कहा कि ‘आप एक सांसद हैं। आपमें कानून के लिए कोई सम्मान नहीं है? आपने पूछा कि कानून क्या है?’
राउत के वकील ने माना कि राज्यसभा सदस्य को अधिक जिम्मेदार होना चाहिए था। राउत के वकील ने कहा कि ‘उन्हें (राउत) ऐसा नहीं कहना चाहिए था। लेकिन वहां धमकी भरा कोई संदेश नहीं था। उन्होंने केवल इतना कहा था कि याचिकाकर्ता बेहद बेईमान हैं… और यही वह टिप्पणी थी जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि महाराष्ट्र सुरक्षित नहीं है।’
बीएमसी ने कंगना के वकील के बयान को बताया गलत
वहीं, बीएमसी की ओर से वकील अनिल साखरे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया। बीएमसी ने इस हलफनामा में कहा कि मुंबई पुलिस के खिलाफ ट्वीट के बाद कंगना का दफ्तर नहीं तोड़ा गया, यह कंगना के वकील का यह बयान गलत है। ट्वीट करने से चार घंटे पहले ही बीएमसी की टीम कंगना के कार्यालय में पहुंची थी।
बीएमसी के वकील ने दावा कि कंगना रणौत के खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई की गई, इसका कोई सबूत उन्होंने नहीं दिया है। यह आरोप लगाना आसान है, साबित करना मुश्किल। कंगना को कोर्ट में आकर विटनेस बॉक्स में खड़े होकर सबूत देना चाहिए था। हमें क्रॉस एग्जामिनेशन का मौका मिलता।
कोर्ट ने पूछा- जब निर्माण हो रहा था तब बीएमसी के अफसर क्या कर रहे थे?
बीएमसी के वकील ने आगे कहा कि कंगना रणौत को सिविल केस दर्ज करना चाहिए था। कंगना ने आर्टिकल 226 के तहत केस दाखिल किया था, जिसे हाई कोर्ट को अस्वीकार कर देना चाहिए था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा, जब निर्माण हो रहा था तब बीएमसी के अफसर क्या कर रहे थे? सितंबर में इतनी जल्दबाजी कर के निर्माण क्यों तोड़ा गया? कोर्ट ने पूछा, आपने पहले कहा कि निर्माण को बढ़ाया गया है, जो कोई भी रास्ते से जाने वाला देख सकता है। जब यह काम हो रहा था तब आपके अफसर कहां थे?